• यूपी के नोएडा में चल रहे, धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश हुआ  है। ये रैकेट पिछले दो साल से चल रहा था और अब तक एक हजार से ज्यादा गैर-मुस्लिमों को इस्लाम में शामिल किए जाने का दावा किया जा रहा है। 

इस रैकेट को चलाने के आरोप में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया गया है. दोनों ही दिल्ली के जामिया नगर इलाके के रहने वाले हैं. पुलिस को जांच में पता चला कि मोहम्मद उमर गौतम पहले हिंदू था, जिसने बाद में इस्लाम कबूल कर लिया. उसके पिता का नाम धनराज सिंह गौतम है. पुलिस को शक है कि उमर के देश में बहुत सहयोगी हैं जो इस पूरे रैकेट को चला रहे हैं। दो साल से चल रहा था रैकेट नोएडा में धर्मांतरण कराने वाला ये रैकेट पिछले दो साल से चल रहा था. एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया है कि पिछले एक साल में ही 350 लोगों का धर्मांतरण किया गया है और अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों को धर्मांतरण किया जा चुका है। इस मामले में आरोपी पहले तो लोगों का धर्मांतरण कराते थे, उनकी शादी करते थे और उसके बाद उन्हें धर्मांतरण और शादी के दस्तावेज तैयार कर धर्म परिवर्तन को अवैध रूप से कानूनी मान्यता भी दिलाते थे. इस काम में उमर का साथ मुफ्ती काजी देता था । महिलाओं और बच्चों को अपना टारगेट बनाते थे. जांच में सामने आया कि नोएडा के सेक्टर 117 स्थित नोएडा डीफ सोसायटी समेत कई मूक बधिर स्कूलों के बच्चों का धर्मांतरण कराया जाता था. अब तक 18 बच्चों का धर्म बदला जा चुका था. हैरानी वाली बात ये थी कि इन बच्चों के माता-पिता को उनके धर्मांतरण को लेकर कोई जानकारी भी नहीं थी। ये लोग न सिर्फ डरा-धमकाकर बल्कि नौकरी और पैसे का लालच देकर भी लोगों का धर्म परिवर्तन करवाते थे. साथ ही, मानसिक दबाव भी बनाया जाता था इतना ही नहीं, आरोपी समय-समय पर सम्मेलन आयोजित कर सामूहिक धर्म परिवर्तन भी कराते थे। एटीएस की ओर दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप है के ये लोग अब तक एक हजार से ज्यादा गैर-मुस्लिमों को मुस्लिम धर्म में कन्वर्ट कर चुके हैं. धर्मांतरण के बाद उनकी मुस्लिमों से शादी करा दी जाती है। पूछताछ में सामने आया है कि पहले ये लोग कमजोर वर्ग, गरीब, महिलाओं की पहचान करते थे। उसके बाद मोहम्मद उमर और उसके साथी सुनियोजित ढंग से गैर-मुस्लिमों में उनके धर्म के प्रति दुर्भावना और घृणा पैदा करते थे और इस्लाम की तारीफें और फायदा बताकर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करते थे. इस रैकेट में एटीएस को विदेशी फंडिंग के सबूत भी मिले हैं एफआईआर के मुताबिक, धर्मांतरण कराने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और विदेशों से फंडिंग भी होती थी। 




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