Keshav Prasad Maurya: ओबीसी समाज का चेहरा, आरएसएस से निकटता व सांगठनिक दक्षता केशव मौर्य को बनती है यूपी का शौर्य 

केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में दोबारा जगह मिली पहले से ही तय माना जा रहा था आज उस पर मोहर लगी केशव प्रसाद मौर्य को  फिर से उप मुख्‍यमंत्री बनाया गया है। इसकी वजह उनका ओबीसी चेहरा होने के साथ आरएसएस व विहिप से निकटता और सांगठनिक क्षमता में दक्षता माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले को उठाकर हलचल पैदा कर दी थी। स्लोगन दिया था कि 'अब मथुरा की तैयारी'। स्टार प्रचारक के तौर पर प्रदेश भर में  रैलियां भी की थी। उसी समय माना जा रहा था कि सरकार में उनकी बड़ी भूमिका रहेगी।

केशव का कद वही है जो पहले था 

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में केशव प्रसाद मौर्य भले ही अपनी सीट (कौशांबी के सिराथू सीट) से हार गए फिर भी राजनीति के पंडितों का यही मानना था कि केशव का कद नहीं घटेगा।  उपसंहार न्यूज़ को जो खबरे मिल रही थी उसमे जमीनी कार्यकर्त्ता केशव प्रसाद मौर्य की हार से बहुत दुखी था लेकिन   केशव प्रसाद मौर्य की हार के बाद उनको जो जनसमर्थन मिल रहा था कार्यकर्त्ताो से या फिर बीजेपी विधायकों से वो अभूतपूर्व रहा जब  शुक्रवार को मुख्‍यमंत्री योगी के मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में यह साबित भी हो गया।

दोबारा सरकार बनने में केशव मौर्य की बड़ी भूमिका

संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार दोबारा बनी है इसमें केशव प्रसाद मौर्य की बड़ी भूमिका है। उन्होंने अपनी विधानसभा में समय न देकर अन्य जगहों पर रैलियां की थी। उन चुनावी सभाओं के सकारात्मक नतीजे भी मिले। इससे पूर्व वर्ष 2017 के चुनाव में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पार्टी कार्यकर्ताओं को बांधने के साथ जातीय समीकरण के अनुसार भी रणनीतिक फैसले लेने में सहयोग दिया था। यही वजह थी कि 2017 में पार्टी ने 300 से अधिक सीट का आंकड़ा पार किया था।

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