ओलंपिक हॉकी में आठ स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की इस खेल में बादशाहत को खत्म हुए इतना समय हो चुका है कि नई पीढ़ी इससे पूरी तरह अंजान है। भारत ने ओलंपिक हॉकी में आखिरी स्वर्ण पदक 1980 के मॉस्को में जीता था और इसे भी 41 साल बीत चुके हैं।

यही वजह है कि देश की नई पीढ़ी ने भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक खेलों में पोडियम पर चढ़ते नहीं देखा है। लेकिन कोच ग्राहम रीड द्वारा तैयार की गई इस टीम से इस बार टोक्यो ओलंपिक में पोडियम पर चढ़ने की उम्मीद की जा रही है। टीम आजकल बेंगलुरू स्थित साई केंद्र में अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है

 भारत को इस बार मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना के साथ ग्रुप ए में रखा गया है। ग्रुप की अन्य टीमें ऑस्ट्रेलियॉ, न्यूज़ीलैंड, स्पेन और मेजबान जापान हैं। भारत को 24 जुलाई को न्यूजीलैंड से खेलकर अपने अभियान की शुरुआत करनी है

इस बारे में भारतीय फॉरवर्ड रमनदीप सिंह का कहना है , "हम अपने पूल की पहली टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ कैसा प्रदर्शन करते हैं, इस पर टीम का प्रदर्शन बहुत कुछ निर्भर करेगा। शुरुआत अच्छी होने पर टीम के बेहतर प्रदर्शन की राह बन जाती है।"

"दिक्कत यह है कि हम बिना अंतरराष्ट्रीय मैचों के खेले तैयारी कर रहे हैं, जबकि न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया चार मैचों की सीरीज खेलकर वहां आएंगे। यह दोनों ही टीमें भारत के ग्रुप में हैं। इसके अलावा ग्रुप की एक अन्य टीम स्पेन महाद्वीपीय चैंपियनशिप में खेलकर तैयारी कर रही है।"

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