उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की कार पर हमला करने वालों ने तीन बार पहले भी कोशिश की थी, लेकिन भारी भीड़ के कारण ये कोशिशें नाकाम रही थीं।
पिछले हफ़्ते गुरुवार को ओवैसी जब मेरठ से दिल्ली लौट रहे थे तो उनकी कार पर हमला हुआ था. इस हमले को लेकर यूपी पुलिस ने सचिन शर्मा और शुभम को गिरफ़्तार किया है।
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने सचिन और शुभम पर दर्ज एफ़आईआर की कॉपी के आधार पर बताया है कि दोनों ने अपने बयान में क्या-क्या कहा है।
एफ़आईआर के अनुसार, शुरू में दोनों पूछताछ के दौरान सवालों का संतोषपूर्ण जवाब नहीं दे रहे थे। लेकिन जब जाँचकर्ताओं ने कहा कि दोनों गोली चलाते वक़्त सीसीटीवी कैमरे में क़ैद हो गए हैं, इसके बाद सचिन ने माफ़ी मांगी और पूरी योजना के बारे में जानकारी दी।
सचिन ने पुलिस से कहा, ''मैं एक बड़ा नेता बनना चाहता था। मैं ख़ुद को बड़ा देशभक्त मानता हूँ. मुझे लगा कि ओवैसी का भाषण देश के लिए नुक़सानदायक है। मेरे दिमाग़ में ओवैसी को लेकर शत्रुता की भावना आ गई थी।'' सचिन ने पुलिस से कहा है कि वह ओवैसी की आवाजाही की जानकारी लेने के लिए AIMIM डासना के अध्यक्ष के संपर्क में थे।
एफ़आईआर के अनुसार, सचिन ने ओवैसी पर चुनावी कैंपेन के दौरान हमला करने का फ़ैसला किया. अपने इस फ़ैसले को लेकर फिर उन्होंने अपने दोस्त शुभम को फ़ोन किया। सचिन ने एफ़आईआर में कहा है कि उन्होंने शुभम के साथ मिलकर ओवैसी को मारने का फ़ैसला किया और सही वक़्त का इंतज़ार किया जा रहा था।
30 जनवरी को ग़ाज़ियाबाद के शाहिद नगर में ओवैसी की जनसभा में दोनों शामिल हुए। सचिन ने पुलिस से कहा कि ''उसी दिन अपनी योजना को अंजाम तक पहुँचाने का इरादा था लेकिन ओवैसी भीड़ से घिरे हुए थे।'' दोनों गुरुवार को ओवैसी को गोली मारने के इरादे से मेरठ के गोला कुआं गए। लेकिन एक बार फिर से उनकी योजना भारी भीड़ के कारण नाकाम रही। इसके बाद दोनों ने किठौर में ओवैसी का पीछा किया लेकिन वहाँ भी इनकी योजना नाकाम रही।
दोनों को पता चला कि ओवैसी सफ़ेद एसयूवी से दिल्ली जा रहे हैं और इन्हें लगा कि इसी दौरान हमले की योजना को अंजाम देना सबसे सही समय है।
एफ़आईआर में सचिन ने कहा है, ''जैसे ही असदुद्दीन की गाड़ी छिजारसी टोल पर शाम के समय आई और टोल पर स्लो होकर गुज़र रही थी, मैंने और शुभम ने एक राय होकर ओवैसी को जान से मारने के लिए इसकी कार को टारगेट कर गोलियां चलानी शुरू कर दी...मैंने जैसे ही पहली गोली चलाई, ओवैसी ने मुझे देख लिया और अपनी जान बचाने के लिए कार के नीचे की ओर बैठ गए। तब मैंने उनकी गाड़ी पर नीचे की ओर गोली चलाई. मुझे ये उम्मीद थी कि ओवैसी मर गए होंगे।''
सचिन ने कहा है कि उन्हें नहीं पता है कि शुभम ने कितनी राउंड गोलियां चलाईं क्योंकि दोनों अलग-अलग दिशाओं में भागे थे। शुभम ने पुलिस से कहा है कि उनकी बंदूक मौक़े पर जाम हो गई थी और एक गोली ही चला पाए थे। दोनों ने पुलिस से कहा है कि उन्हें नहीं पता कि ओवैसी कैसे ज़िंदा रह गए।

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