Himachal By-elections: श्रद्धांजलि, कारगिल युद्ध के बाद ‘रावण’ पर सियासी घमासान
हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव में तीन
शब्द काफी चर्चा में रहे हैं। इनमें
श्रद्धाजंलि, कारगिल
युद्ध के बाद अब रावण भी चर्चा में है। आम जनता
के मुद्दों पर सियासी दल कम बात कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा और मंडी लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव में सियासी
पारा चरम पर है। सूबे में ताजा बर्फबारी के बाद जहां ठंड बढ़ी है, वहीं सियासी पारा
भी लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, चुनाव से आम जनता के मुद्दे गौण हैं। बढ़ते पेट्रोल की
कीमतें, सरसों के तेल के
रेट, राशन डिपो में
दालों की आसमान छूती कीमतें और अन्य मुद्दों पर सियासी दलों ने चुप्पी साध रखी है।
भाजपा सरकार इन सवालों पर चुप है तो कभी-कभी कांग्रसे गाहें-बगाहें इन मुद्दों
को उठाकर खानीपूर्ति कर रही है। आम जनता से जुड़े मुद्दे पूरी तरह से चुनाव प्रचार
में गायब हैं। तीन मामले ऐसे हैं, जो फिलहाल, चुनाव प्रचार में हावी रहें है। प्रतिभा सिंह के लिए
कांग्रेस का श्रद्धांजलि वाला पोस्टर शुरू में चर्चा का केंद्र बना. बाद में
प्रतिभा सिंह के कारगिल को लेकर दिए बयान ने सुर्खियां बटोरी। अब ‘रावण’ की भी
चुनाव प्रचार में एँट्री हुई है।
क्या हैं तीनों मामला
पहला मामला चुनाव की
घोषणा होते ही सामने आया।
जब प्रतिभा सिंह और दिवंगत वीरभद्र सिंह के के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने एक
पोस्टर जारी किया। पोस्टर में लिखा था कि ‘वोट नहीं, श्रद्धआंजलि चाहिए’। इस पर
विक्रमादित्य सिंह घिर गए और लोगों ने कहा कि वीरभद्र सिंह के नाम पर वोट मांगना
कितना सही है। बाद में पोस्टर में फेरबदल कर वोट ही श्रद्धआंजलि कर दिया गया।
कांग्रेस की इस पोस्टर राजनीति को भाजपा ने भी कैश किया और सवाल पूछा कि किसी की
मौत पर वोट मांगना कितना सही है?
कारगिल पर घिर गई प्रतिभा
बाद में दूसरा मुद्धा कारगिल का उठा। इसमें प्रतिभा सिंह
घिर गई। दरअसल, प्रतिभा सिंह ने एक रैली में बयान में कहा कि कारगिल एक छोटी-मोटी लड़ाई थी।
मंडी जिला के नाचन विधानसभा क्षेत्र के तहत नांडी गांव में चुनावी जनसभा में प्रतिभा सिंह ने कारगिल
युद्ध को छोटी लड़ाई बताया था। प्रतिभा सिंह ने कहा था कि भाजपा ने अपना टिकट एक
पूर्व फौजी को दिया है, क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध में भाग लिया था, लेकिन कारगिल युद्ध
कोई बड़ा युद्ध नहीं था। सिर्फ अपनी धरती से ही पाकिस्तानियों को खदेड़ना था।
कारगिल युद्ध में शिरकत करने वाले ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को लेकर उन्होंने कहा कि
उन्हें ऐसे पेश किया जा रहा है, जैसे वे बहुत बड़े सैनिक रहे हों और विजय हासिल की हो। इस
बयान पर जमकर सियासत हुई है और बाद में प्रतिभा सिंह को अपने बयान पर माफी मांगनी
पड़ी। बता दें कि हिमाचल में एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक हैं। वहीं, प्रदेश ने कारगिल
युद्ध में 52 सैनिक खोए थे। इस बयान पर कांग्रेस की जमकर किरकिरी हुई थी।
अब रावण की एंट्री हुई
उपचुनाव के प्रचार में अब रावण की एँट्री हुई है। दरअसल, हाल ही में दशहरे के दिन
प्रतिभा सिंह के लिए प्रचार के दौरान कांग्रेस की नेता आशा कुमारी ने बयान दिया।
आशा कुमारी ने सीएम और भाजपा के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें प्रतिभा
सिंह को ‘मजबूर’ कहा गया और मजूबरी में चुनाव लड़ने की बात कही गई. आशा कुमारी ने
इस पर कहा कि रावण ने भी सीता माता मजबूर समझा था और सीता माता मजबूर, नहीं मजबूत थी. बाद
में रावण का क्या हाल हुआ था। आशा कुमारी ने कहा कि वह रावण को रावण कह रही थी।
उन्होंने किसी को रावण नहीं कहा। सरकार मुद्दों, तेल, महंगाई और
बेरोजगारी पर बात नहीं करती है।
भाजपा ने बयान पर दी प्रतिक्रिया
भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख एवं हिमफेड के चेयरमैन
गणेश दत्त ने कांग्रेस विधायक आशा कुमारी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आशा
कुमारी द्वारा रावण शब्द का प्रयोग उचित नहीं है। कांग्रेस पार्टी की यह पुरानी
आदत रही है। पहले सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मौत के सौदागर
की टिपणी की थी। गणेश दत्त ने भाजपा सरकार की उपलब्धियां भी गिनवांई। महंगाई पर
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार के कारण महंगाई बढ़ी थी।
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