शाहरुख खान के बेटे पर एनसीबी ने कसा शिकंजा: नशीले पदार्थों के इस्तेमाल पर क्या कहता है कानून, कितनी होती है सजा?
भारत में किसी भी तरह के नशीले पदार्थ से जुड़े
मामलों में दो तरह के कानूनों के तहत कार्रवाई होती है। इनमें एक कानून है
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज ऐक्ट-1985 और दूसरा कानून है
प्रिवेंशन ऑफ इलिसिट ट्रैफिकिंग इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज
ऐक्ट ऑफ 1988।
बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन
खान का नाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की हालिया ड्रग रेड में सामने आया
है। एनसीबी ने खुद बयान जारी कर कहा है कि क्रूज पर छापा मारने के बाद जिन 8 लोगों को हिरासत में
लिया गया, उनमें एक नाम
आर्यन का भी है। इसके अलावा कुछ और मॉडल्स और इन्फ्लुएंसर्स के नाम सामने आए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनसीबी की
छापेमारी के दौरान जहाज से चरस के अलावा तीन अन्य तरह के ड्रग्स भी बरामद हुए हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि अगर किसी व्यक्ति या पार्टी से अगर इस तरह के अवैध
नशीले पदार्थ पकड़े जाते हैं, तो इसकी क्या सजा है और भारत के किन कानूनों के तहत
आरोपियों पर कार्रवाई होती है।
भारत में किसी भी तरह के नशीले पदार्थ से जुड़े
मामलों में दो तरह के कानूनों के तहत कार्रवाई होती है। इनमें एक कानून है
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज ऐक्ट-1985 (स्वापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985), जिसे एनडीपीएस ऐक्ट भी
कहा जाता है। वहीं, दूसरा कानून है
प्रिवेंशन ऑफ इलिसिट ट्रैफिकिंग इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज
ऐक्ट ऑफ 1988 (स्वापक ओषधि और
मनःप्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार निवारण अधिनियम, 1988)।
क्या कहते हैं ये दोनों कानून?
एनडीपीएस कानून किसी भी तरह के अवैध नशीले
पदार्थ की खेती, उत्पादन, इसे रखने, बेचने, खरीदने, व्यापार, निर्यात, आयात या इस्तेमाल करने पर
प्रतिबंध लगाने से जुड़ा है। हालांकि, कानून के तहत कुछ चिकित्सीय और वैज्ञानिक मामलों में ऐसे ड्रग्स
के इस्तेमाल पर छूट है।
नारकोटिक्स ड्रग्स में गांजा और चरस दोनों ही शामिल हैं। इसके अलावा हशीश, हेरोईन और अफीम के अलावा कुछ और सिंथेटिक ड्रग्स भी भारत में पूरी तरह अवैध हैं। एनडीपीएस कानून के तहत ही जांच एजेंसियों को नशीले पदार्थों की खोज, जब्ती और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को हिरासत या गिरफ्तार करने का अधिकार मिलता है। इस कानून के तहत दोषी पाए गए लोगों को आर्थिक जुर्माने के अलावा जेल तक भेजने का प्रावधान है।
नशीले पदार्थ पाए गए तो कितनी मिलेगी सजा?
अगर किसी व्यक्ति के पास अवैध नशीले पदार्थ
मिलते हैं या उसे इसका इस्तेमाल करते पाया जाता है, तो एनडीपीएस कानून के तहत इन पर सजा का
प्रावधान है। वहीं, ऐसे पदार्थों के
व्यापार में शामिल लोगों के लिए स्वापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अवैध व्यापार
निवारण अधिनियम, 1988 कानून के तहत
कार्रवाई होती है। हालांकि,
इसमें व्यक्ति को
सजा मिलने का प्रावधान उसके पास से मिले नशीले पदार्थों की मात्रा पर निर्भर होता
है।
1. छोटी मात्रा यानी चरस या हशीश के 100 ग्राम और गांजे के 1000 ग्राम तक पाए जाने पर
व्यक्ति पर 10 हजार रुपए का
जुर्माना या छह महीने तक की जेल की सजा या दोनों हो सकती हैं। अगर पकड़ा गया
चरस-गांजा किसी और तरह का विकसित पदार्थ है, तो जेल की सजा एक साल तक बढ़ाई भी जा सकती है। इस तरह के
मामलों में काउंसलिंग का विकल्प भी दिया जाता है, जिससे दोषी जेल जाने से बच सकता है।
2. उधर छोटी मात्रा से ज्यादा लेकिन बेचने लायक मात्रा से कम नशीला पदार्थ पाए जाने पर व्यक्ति को 10 साल तक के कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है। साथ ही उस पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
3. अगर अवैध नशीले पदार्थ बेचने लायक यानी व्यापारिक मात्रा
में बरामद होते हैं, तो कम से कम 10 साल की जेल की सजा का
प्रावधान है, जो कि ज्यादा
मात्रा के साथ 20 साल तक की जा
सकती है। इसके अलावा कम से कम एक लाख रुपए से लेकर दो लाख तक के जुर्माने का भी
प्रावधान है।
4. उधर कोकीन, मॉर्फीन या हेरोईन जैसे अवैध ड्रग्स छोटी मात्रा में लेने पर एक साल तक जेल या 20 हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। लेकिन ऐसे ड्रग्स की छोटी मात्रा और व्यापारिक मात्रा में फर्क काफी छोटा है। जहां कोकीन में दो ग्राम तक छोटी मात्रा मानी गई है, वहीं 100 ग्राम को व्यापारिक मात्रा कहा गया है। इसी तरह एमडीएमए में 0.5 ग्राम को छोटी मात्रा माना गया है और 10 ग्राम को व्यापारिक मात्रा कहा गया है। हेरोईन और मॉर्फीन में भी 5 ग्राम तक छोटी मात्रा 250 ग्राम को बड़ी मात्रा कहा गया है।
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