ठग्गू के लड्डू के मालिक प्रकाश पांडेय का निधन, कैंसर की बीमारी से लंबे समय से थे पीड़ित
- भीतरगांव के एक गांव से किसानी के काम से बचकर एक सर्द रात 13 साल की उम्र में भागे रामावतार ने भाग-भागकर कारोबार के ऐसे हुनर सीखे कि अपने लजीज लड्डुओं का स्वाद दुनिया भर की जबान पर चढ़ा दिया।
- डंके की चोट पर खुद को ‘ठग’ घोषित कर और अपनी दुकान के बाहर ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं’ लिखकर एलानिया ठगी करने वाले प्रकाश पांडेय ने मंगलवार को ऐसी खामोशी से दुनिया छोड़ी कि उनके जानने वाले ठगे से रह गए।
- सिविल लाइंस स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उन्हें कैंसर था। उनकी उम्र 60 वर्ष थी। दिन में 11 बजे भैरव घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। प्रकाश पिछले कई दशक से कानपुर समेत देश के तमाम शहरों में ‘ठग्गू के लड्डू’ नाम से मिठाई की दुकानें चला रहे हैं।
इसी दुकान की ‘बदनाम कुल्फी’ ने भी उनका घर-घर
नाम किया। ठगों पर बनी फिल्म ‘बंटी और बबली’ इसी दुकान से प्रेरित है। साल 2005 में कानपुर में इसकी
शूटिंग में यह दुकान फिल्म का हिस्सा बनी। फिल्म का ‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं’
गाना दुकान की थीम से लिया गया।
दुकान के बेढंगे नाम के पीछे की कहानी के बारे
में एक दफा प्रकाश ने बताया था कि पिता रामावतार पांडेय गांधीजी के आदर्शों पर
चलने वाले थे। उनको गांधीजी की बात याद थी कि शक्कर मीठा जहर है और लड्डू व कुल्फी
में शक्कर का भरपूर उपयोग होता है।
जब दुकान खोली तो उन्होंने धंधे में इसे
बेईमानी माना और अपने आपको ‘ठग्गू’ कहना शुरू कर दिया। भीतरगांव के एक गांव से
किसानी के काम से बचकर एक सर्द रात 13 साल की उम्र में भागे रामावतार ने भाग-भागकर कारोबार के
ऐसे हुनर सीखे कि अपने लजीज लड्डुओं का स्वाद दुनिया भर की जबान पर चढ़ा दिया।
पिता ने की शुरुआत, बेटे ने जमाई धाक
यूं तो करीब पांच दशक पहले दुकान पिता ने शुरू
की, लेकिन विदेश तक
अपने इस अजब ब्रांड की धाक जमाने में प्रकाश की मेहनत रही। इस ठगी की शोहरत ऐसी
फैली कि बॉलीवुड तक खिंचा चला आया। खोये, रवा और ड्राई फ्रूट्स से बनने वाले इन लड्डुओं के अमेरिकी
पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तानी
प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ व परवेज मुशर्रफ तक दीवाने हैं। फिल्म अभिनेता अभिषेक
बच्चन की शादी में भी मेहमानों ने इन लड्डुओं का आनंद लिया।
सियासत से भी जुड़े रहे
मूलरूप से भीतरगांव के परौली गांव के रहने वाले
प्रकाश अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़कर गए हैं। प्रकाश के बड़े भाई राजेश पांडेय
और उनका परिवार भी साथ ही रहता है। प्रकाश कांग्रेस के महानगर उपाध्यक्ष भी रहे।
कांग्रेसी नेता के रूप में वह चेतना चौराहे पर अक्सर बैठकी किया करते थे।
प्रकाश को श्रद्धांजलि देने वालों में पूर्व
कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया, पूर्व कांग्रेस शहर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री, हरी मतरेजा, भाजपा से सुरेश अवस्थी, कांग्रेस उत्तर
जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी, निजामुद्दीन खां, संदीप शुक्ला, कृपेश त्रिपाठी, नरेश त्रिपाठी व कानपुर होटल गेस्ट हाउस, स्वीट्स एंड रेस्टोरेंट
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखबीर सिंह मलिक, महामंत्री राजकुमार भगतानी, बसपा उपाध्यक्ष मोहन मिश्रा शामिल रहे।
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