जहां धर्म नहीं है, वहां धन भी नहीं टिकता। धन हो न हो, जीवन में धर्म होना चाहिए। यह संदेश श्री लालगंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में साध्वी मंगलप्रभा ने दिया। उनके सान्निध्य में भक्तामर सम्पुट के अंतर्गत पांचवे श्लोक का अनुष्ठान किया गया। भक्तामर सम्पुट की पांचवी गाथा का वाचन करते हुए कहा कि एक नगर में गरीब बढ़ई रहता था। उसकी दुकान के सामने कुछ बच्चे गिल्ली-डंडा खेल रहे थे। एक बच्चा आया जिसके पास एक किताब थी।

वह भी दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए लालायित था, लेकिन उसके पास डंडा नहीं था। एक अन्य बच्चे ने उसके मन को भांप लिया और अपना डंडा उसे दे दिया। बच्चा खेल पाता, इससे पहले ही डंडा टूट गया। बच्चा विचार करने लगा कि मैं खेल भी नहीं पाया और अब डंडा भी वापस करना है। पास बैठा बढ़ई सारी बातों को समझ रहा था। उसने बच्चे को पास बुलाया और पूछा, परेशान क्यों हो रहे हो?

बच्चे ने सारी पीड़ा बता दी, तो बढ़ई ने उसे दो डंडे बनाकर दिए। बच्चा अपनी किताब उस बढ़ई के पास छोड़कर खेलने चला गया। बढ़ई ने उसे खोलकर देखा। वह भक्तामर स्रोत की किताब थी। बढ़ई स्रोत के पांचवे श्लोक का पाठ करने लगा। 108 बार पढ़ने पर देवी प्रकट हुईं और कहा, बताओ मेरा स्मरण क्यों किया। बढ़ई ने बताया कि मुझे धन की आवश्यकता है।

देवी उसे पास स्थित पेड़ के चारों ओर गड्ढा खोदने की बात कहकर अंतर्ध्यान हो गईं। बढ़ई ने संकल्प लिया कि यदि मुझे धन की प्राप्ति होती है तो भगवान आदिनाथ का मंदिर बनवाऊंगा। उसके बाद जो धन बच जाएगा, उसका इस्तेमाल अपने लिए करूंगा। देवी के बताए स्थान पर बढ़ई को बड़ी मात्रा में धन की प्राप्ति हुई। उसने भव्य जिनालय का निर्माण करवाया और सुखपूर्वक जीवन यापन करने लगा।

आचार्य जयमल जयंती 19 को

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि 19 सितंबर को पटवा भवन में आचार्य जयमल जी की जयंती धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। श्रमण संघ, बालिका, महिला, बहू मंडल और यूथ विंग ने मिलकर इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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