पाकिस्तान को FATF में लगा झटका, ग्रे लिस्ट से नहीं हुई छुट्टी, अध्यक्ष ने बताई वजह
दुनिया भर में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीति बनाने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की प्लैनरी मीटिंग के ख़त्म होने के बाद पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फ़ैसला किया गया है।
एफ़एटीएफ़ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि "पाकिस्तान को जो सुझाव दिए गए थे उनमें उसने काफी प्रगति की है और 27 में से 26 शर्तों को पूरा किया है। लेकिन अभी उसे आतंकवादियों को ज़िम्मेदार ठहराने और उन्हें सज़ा देने की दिशा में काम करना बाक़ी है।"
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब भी 'इन्क्रीज़्ड मॉनिटरिंग लिस्ट' में बना रहेगा. 'इन्क्रीज़्ड मॉनिटरिंग लिस्ट' को ही ग्रे लिस्ट कहा जाता है।
उन्होंने आतंकवाद पर अंकुश लगाने को लेकर पाकिस्तान सरकार की प्रतिबद्धता की तारीफ की और कहा कि चार महीनों बाद इसी साल अक्तूबर में वो एक बार फिर स्थिति की समीक्षा करेंगे।
उन्होंने माना कि पाकिस्तान ने अपनी क़ानूनी व्यवस्था में काफी सुधार किए हैं लेकिन एशिया पेसिफ़िक ग्रूप की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा इसके बावजूद वो एफ़एटीएफ़ के अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं कर पाया है।
इससे पहले बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि भारत फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) के मंच का इस्तेमाल "राजनीतिक उद्देश्यों के लिए" करना चाहता है और भारत को इस मंच के राजनीतिक इस्तेमाल की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए।
एक बयान में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि "एफ़एटीएफ एक तकनीकी मंच है जिसका इस्तेमाल राजनीतिक मुद्दों को निपटाने के लिए नहीं होना चाहिए।"
ध्यान रहे कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट वाले देशों में शामिल है और पाकिस्तान सरकार एफ़एटीएफ से राहत का इंतज़ार कर रही है. लेकिन विदेश मंत्री के इस बयान से मामला उलझा हुआ दिखाई दिया।
25 जून एफ़एटीएफ़ की एक अहम बैठक हुई जिसमें ये तय किया गया कि पाकिस्तान को अभी और ग्रे लिस्ट में ही रखा जाना चाहिए या नहीं. बैठक के बाद एफ़एटीए़ ने घाना को सूची से बाहर निकालने का फ़ैसला किया।
पाकिस्तान में कई विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने पहले ही ये संकेत दिया था कि पाकिस्तान को थोड़ी सी राहत देकर आगे भी ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा, जैसा इससे पहले भी एफ़एटीएफ़ की बैठकों में होता रहा है।
एफएटीएफ की बैठक से पहले भारत पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का बयान, वर्तमान में पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा करने वालों की तवज्जो का केंद्र बना हुआ था जिसमें उन्होंने भारत की वैश्विक "राजनीतिक भूमिका" की ओर इशारा किया है. वो इसके बारे में पहले भी बयान देते रहे हैं।
अब सवाल यह है कि भारत किस हद तक एफ़एटीएफ़ में पाकिस्तान के केस को प्रभावित कर सकता है और क्या भारत को क़ानूनी तौर पर रोका जा सकता है?
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