कानपुर में जाजमऊ स्थित राजा यायाति का किला 1968 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है लेकिन उसे शायद भुला दिया गया। अनदेखी का आलम यह है कि टीले के बड़े हिस्से पर दीवार खड़ी करके बस्ती बसा दी गई है।

भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित राजा ययाति के किले पर अवैध कब्जेदारी का मामला शिकायत के बाद फिर से चर्चा में है। चार साल पहले किले को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की कोशिशें शुरू हुई थीं, लेकिन पुलिस की आरोपितों से मिलीभगत और राजनीतिक दखलंदाजी से यह संभव नहीं हो सका। खास बात यह है कि इस अति प्राचीन किले के संरक्षण की जिम्मेदारी निभाने वाला भारतीय पुरातत्व विभाग और केडीए भी चुप्पी साधकर बैठ गया।

गंगा के किनारे जाजमऊ टीला के नाम से जाने वाला इलाका कभी राजा ययाति का राजमहल हुआ करता था। टीला जितना ऊंचा दिखाई देता है, उससे भी नीचे जमीन के अंदर तक धंसा हुआ है। यह किला 28 फरवरी 1968 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है। बताया जाता है कि जाजमऊ पुराना गंगापुल निर्माण के लिए इस किले की खोदाई शुरू हुई तो इसमें 1200-1300 शताब्दी के बर्तन व कलाकृतियां मिलीं। ऐसे भी अवशेष मिले, जिसके आधार पर कहा गया कि यहां की संस्कृति इससे भी अति प्राचीन थी।

ऊंची दीवार और बड़ा गेट लगाकर किया कब्जा

16 बीघा क्षेत्रफल वाले इस किले के पांच बीघे क्षेत्रफल में भूमाफिया पप्पू स्मार्ट व उसके परिवारीजनों का कब्जा है। उन्होंने एक ऊंची दीवार खड़ी करके एक बड़ा गेट लगा दिया है। इसके अंदर बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। इसके अलावा आसपास की जमीनों को भी पप्पू स्मार्ट से जुड़े लोगों ने बेच दिया। वर्ष 2017 में जब अधिवक्ता संदीप शुक्ला की ओर से थाना चकेरी में मुकदमा दर्ज कराया गया तो यह मामला प्रकाश में आया। अतिप्राचीन किले को आजाद कराने की मांग उठी, मगर मामले को दबा दिया गया। यहां तक पुरातत्व विभाग भी भूल गया।

राजस्व दस्तावेजों से भी हुई थी छेड़छाड़ : पुलिस की जांच से पहले इस मामले में तत्कालीन अपर नगर मजिस्ट्रेट पीसी लाल श्रीवास्तव ने 7 मई 2018 को एक रिपोर्ट डीएम को सौंपी थी। इसमें उन्होंने लिखा है कि इस किले से संबंधित दस्तावेजों में छेड़छाड़ की कोशिश की गई है। काली स्याही से रिकार्ड में बख्तावर खान पुत्र शरीफ खान का नाम शामिल करने की कोशिश की गई।

समुदाय विशेष की है बस्ती : राजा ययाति के किले को संरक्षित किए जाने की जरूरत थी, लेकिन एक विशेष वर्ग के लोगों ने यहां पर कब्जा कर लिया। किले के एक बड़े भूभाग का उत्खनन कर प्राचीन धरोहरों को नष्ट कर दिया गया है। क्षेत्र में सनातन संस्कृति से जुड़ा केवल एक मंदिर बाकी बचा है।

पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग कब्जा हटाने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से बात करे। ताकि पुलिस बल मिल सके। अगर कोई दिक्कत हो तो बताए। -डा. राजशेखर, मंडलायुक्त कानपुर मंडल

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