घाटमपुर में आइसक्रीम कारोबारी गिरीशचंद्र सचान के बेटे हर्षित (19) की हत्या के मामले में पीड़ित परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि हर्षित को एंबुलेंस से हैलट रवाना किया गया था, लेकिन कुछ ही दूरी पर जाकर पुलिस ने उसे एक लोडर में लाद दिया।

तब हर्षित की सांसें चल रही थीं, लेकिन इलाज न मिलने से कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। लोडर सीधे मोर्चरी पहुंचा। पॉलिटेक्निक छात्र हर्षित को बुधवार देर शाम घाटमपुर स्टेशन रोड के पास गोली मार दी गई थी। गुरुवार को हर्षित के शव का पोस्टमार्टम कराया गया।

मोर्चरी पहुंचीं हर्षित की दोनों बहनें निशि और निधि ने बताया कि वारदात के बाद हर्षित को घाटमपुर सीएचसी ले जाया गया था। वहां से एंबुलेंस से हैलट के लिए रिफर कर दिया गया। आरोप है कि पुलिस ने चतुरीपुर के पास पहले से ही एक लोडर खड़ा करवा लिया था। वहां पहुंचते ही एंबुलेंस से हर्षित व परिजनों को उतारा और सभी को लोडर में लाद दिया। आरोप है कि तब हर्षित की सांसें चल रही थीं, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसे मृत मानकर मोर्चरी भेज दिया। हैलट इमरजेंसी तक नहीं ले गए। 

अपनी ही करतूत में फंसी पुलिस

सीएचसी घाटमपुर से हर्षित को हैलट रिफर किया गया तो उसे बीच रास्ते में लोडर में डालने की क्या जरूरत थी, पुलिस के पास इसका जवाब नहीं है। सीधे मोर्चरी पहुंचने पर वहां तैनात चिकित्सक ने शव लेने से इनकार कर दिया। कहा कि पहले हैलट इमरजेंसी ले जाकर मौत की पुष्टि कराकर शव का पंचनामा भरवाएं। यह प्रक्रिया अपनाने के बाद ही मोर्चरी में शव लिया गया। ऐसे में सवाल यही है कि बिना डॉक्टरों की पुष्टि के पुलिस ने यह कैसे मान लिया कि हर्षित की मौत हो गई।

मामले की जानकारी हुई है। जांच के आदेश दिए गए हैं कि आखिर एंबुलेंस से लोडर में क्यों शिफ्ट किया गया है, जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी।- आदित्य कुमार शुक्ला, एएसपी, कानपुर आउटर 

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