चीन के नौ लोगों की मौत के बाद पाकिस्तान से रिश्ते में उलझन
कल तक पाकिस्तान जिसे बस हादसा कह रहा
था, उसे लेकर
अब धमाके और हमले की बात कह रहा है। इस बस में सवार चीन के नौ नागरिकों की मौत हो
गई थी।
अपने
पहले के बयान से पलटते हुए पाकिस्तान की सरकार ने इसके पीछे चरमपंथी हमला होने की
आशंका ज़ाहिर की है।
इससे
पहले पाकिस्तान ने कहा था कि यह विस्फोट गैस-रिसाव के कारण हुआ. लेकिन अब अपने
पहले के बयान से बदले हुए पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि यह एक चरमपंथी हमला हो
सकता है क्योंकि बस के मलबे से और विस्फोट वाली जगह पर विस्फोटकों के साक्ष्य पाए
गए हैं।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फ़वाद
चौधरी ने ट्वीट किया है, "डासू घटना की प्रारंभिक जांच
में अब विस्फोटकों के साक्ष्य मिलने की पुष्टि हुई है। ऐसे में चरमपंथ हमले से
इनक़ार नहीं किया जा सकता है।"
पाकिस्तान
की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन ने अपनी ओर से घोषणा की थी कि विस्फोट
के बाद के हालातों का जायज़ा लेने के लिए वह अपनी एक टीम पाकिस्तान भेज रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ
लिजिआन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि चीन एक क्रॉस-डिपार्टमेंटल
संयुक्त कार्य समूह भेजेगा।
उन्होंने
कहा था, "क्या हुआ, इसका पता लगाने, सुरक्षा से जुड़े ख़तरों का आकलन करने के लिए और चीनी
कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने में कोई कसर नहीं
छोड़ी जाएगी।”
उन्होंने
कहा था, "हमने पाकिस्तान से ठीक से जांच करने, घायलों को ठीक से इलाज देने, ट्रांसफ़र
करने और सुरक्षा उपायों को मज़बूत करने, सुरक्षा
जोखिमों को ख़त्म करने और पाकिस्तान में चीन के कर्मियों, संस्थानों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
कहा है।"
पाकिस्तान
के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत में हुए इस बस हादसे में कम से कम 13 लोग मारे गए थे जिनमें 9 चीनी
नागरिक थे। ये डासू बांध परियोजना पर काम कर रहे थे।
इससे
पूर्व चीन ने इस हादसे को बम धमाका बताया था जबकि पाकिस्तान ने इसे गैस लीकेज की
वजह से हुआ धमाका कहा था।
ये धमाका अपर कोहिस्तान ज़िले में हुआ
था। डासू के असिस्टेंट कमिश्नर आसिम अब्बास ने कहा था कि हादसे में मारे गए नौ
चीनी नागिरक इंजीनियर थे, इसके अलावा पाकिस्तान की
फ्रंटियर कोर के दो जवान और दो आम नागरिक मारे गए हैं।
इससे
पूर्व पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी दुशांबे में एससीओ शिखर
सम्मेलन के मौके पर चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बातचीत में ज़ोर देकर कहा था कि यह
एक दुर्घटना थी और इसके पीछे "चरमपंथी हमले” की कोई पृष्ठभूमि नहीं मिली।
यह मामला
अपने आप में इसलिए ख़ास है क्योंकि संभवत: यह पहला मौक़ा था जब एक इतने संवेदनशील
मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान के बयान अलग-अलग आये थे।
चीन के
विदेश मंत्रालय की ओर से ब्रीफिंग में ज़ोर देकर इस "बम हमला" कहा गया
था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चीन इस हमले से स्तब्ध है और
हमले की निंदा करता है।
इस हमले
में चीन और पाकिस्तानी दोनों ही देशों के कामगार मारे गए।
ब्रीफ़िग के दौरान उन्होंने यह भी कहा
था कि पाकिस्तान को जितनी जल्दी हो सके सच्चाई की तह तक पहुंचने के लिए कहा गया है।
उससे अपराधियों को गिरफ़्तार करके कड़ी सजा देने की अपील की गई है। साथ ही
पाकिस्तान में काम कर रहे चीन के कामगारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी
कहा गया है।
दोनों
विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत में भी चीन ने यह उम्मीद जताई थी कि पाकिस्तान
जल्द से जल्द इस मामले का पता लगाएगा।
चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया था,“अगर यह एक चरमपंथी
हमला हैतो अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
इस घटना से सबक लिया जाना चाहिएऔर सभी परियोजनाओं के सुरक्षित और सुचारू संचालन को
सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जाना चाहिए।”
पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए फ़वाद चौधरी ने कहा था कि
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ख़ुद मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं।
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