उत्तर कोरिया में कोरोना से जुड़ी लापरवाही के कारण आ गया है 'बड़ा संकट'
उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ किम
जोंग उन ने शीर्ष अधिकारियों को फटकार लगाई है, क्योंकि उनकी चूक
के कारण कोविड-19 से संबंधित एक बड़ा संकट पैदा हुआ।
ये संकट क्या था, इस बारे में जानकारी नहीं है। ये उत्तर कोरिया में महामारी
की गंभीरता का एक संकेत है, उत्तर कोरिया ने पहले इसे ख़ारिज करते हुए कहा था कि वहाँ
कोविड के कोई मामले नहीं हैं।
कोरोना वायरस के कारण उत्तर कोरिया ने अपनी सीमाएँ बंद कर
दी हैं। लेकिन उसके इस फ़ैसले औऱ कुछ अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के कारण देश में
खाद्यान्न की कमी हो गई और अर्थव्यवस्था और बिगड़ गई।
किम जोंग उन ने पहले ये स्वीकार किया था कि देश में
खाद्यान्न की स्थिति गंभीर है और उन्होंने नागरिकों से कहा था कि वे बुरी स्थिति
के लिए तैयारी करें।
उन्होंने इसकी तुलना 1990 के दशक में देश में आए अकाल से की थी। इस सप्ताह के शुरू
में सरकारी टेलीविज़न ने एक आम नागरिक की किम के कमज़ोर दिखाई देने पर टिप्पणी
प्रसारित की थी।
किम को देखकर ऐसा लग रहा था कि उनका वज़न काफ़ी कम हुआ है।
सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक़ किम ने पार्टी नेताओं की एक
विशेष बैठक में शीर्ष अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया।
नतीजतन, उन्होंने "देश की सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा
सुनिश्चित करने के मामले में एक बड़ा संकट पैदा कर दिया और इसके गंभीर नतीजे सामने
आए।" रिपोर्ट के मुताबिक़ पार्टी के कई सदस्यों को वापस बुला लिया गया है।
इनमें शक्तिशाली स्टैडिंग कमेटी के एक सदस्य भी शामिल हैं।
इस कमेटी में पाँच सदस्य होते हैं, जिनमें ख़ुद किम
जोंग उन भी हैं। हालाँकि इस रिपोर्ट में घटना के बारे में ज़्यादा विवरण नहीं दिया
गया है और न ही ये बताया गया है कि अधिकारी कौन हैं।
उत्तर कोरिया से भाग कर आए और शोधकर्ता आहन चान इल ने
समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि रिपोर्ट का मतलब ये है कि देश में शायद कोविड के
पुष्ट मामले आए हैं।
उनका कहना है कि इस रिपोर्ट से ये भी संकेत मिलता है कि उत्तर
कोरिया को शायद अंतरराष्ट्रीय मदद की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया, "अन्यथा वे ऐसा नहीं करते, क्योंकि इसमें महामारी से निपटने के प्रयासों में सरकार की
विफलता को स्वीकार किया गया है।"
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में इवा वीमेन्स यूनिवर्सिटी
में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर लीफ़ एरिक इस्ले ने कहा कि
ये रिपोर्ट उत्तर कोरिया में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था का संकेत है।
उन्होंने कहा, "इसकी संभावना है कि किम जोंग उन इस घटना के लिए बलि का बकरा
ढूँढ़ लेंगे, वे अपने विरोधी
अधिकारियों को हटाएँगे और उनकी वैचारिक ख़ामियों पर सारा दोष मढ़ देंगे। ये
विदेशों से वैक्सीन स्वीकार करने की राजनीतिक तैयारी भी हो सकती है।"
कोरोना वायरस को लेकर उत्तर कोरिया ने कई पाबंदियाँ लगा रखी
हैं और सरकारी मीडिया लगातार ये कहता रहा है कि नागरिकों को लगातार सतर्क करने को
कहा गया है।
उत्तर कोरिया का प्रमुख व्यापारिक पार्टनर चीन है। लेकिन
सीमाएँ सील करने के कारण चीन के साथ व्यापार में गिरावट आई है। इसकी वजह से कुछ
खाद्यान्न और दवाएँ देश में नहीं आ पा रही हैं।
सहायता संगठनों ने चेतावनी दी है कि देश में गंभीर खाद्य और
आर्थिक संकट आ सकता है। कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि हाल के महीनों में
उत्तर कोरिया में अनाज की क़ीमतों में भारी उछाल आई है। देश में भूखमरी की भी
ख़बरें हैं।
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