राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ एनिमल बायोटेक्नॉलोजी), हैदराबाद को टीकों (वैक्सीन) के परीक्षण और उनके बैच जारी करने के लिए केन्द्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) के रूप में अधिसूचित किया गया
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का जैव प्रौद्योगिकी
विभाग, वैक्सीन के विकास
और उसके विनिर्माण के अनुरूप पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध
है
जनहित
में यह आवश्यक है कि कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम और
उसके उपचार के लिए वैक्सीन बैचों को शीघ्र जारी करने हेतु कोविड-19 टीकों के परीक्षण को
विनियमित से जुडी और अधिक सुविधाओं की
स्थापना की जाए।
इस तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग
(डीबीटी) के अंतर्गत दो स्वायत्त संस्थानों अर्थात राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी
संस्थान (एनआईएबी), हैदराबाद और राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान केंद्र
(एनसीसीएस),
पुणे का केन्द्रीय औषधि
प्रयोगशाला (सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्रीज–सीडीएल) के रूप में उन्नयन के लिए उनकी
पहचान की हैI
पीएम–केयर्स फंड से इसी कार्य के लिए वित्त पोषण किया गया था।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
मंत्रालय, भारत सरकार का जैव प्रौद्योगिकी विभाग वैक्सीन विकास और उसके
विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए निरंतर अपना समर्थन जारी रखे हुए
है। एनसीसीएस,
पुणे और एनआईएबी, हैदराबाद में वैक्सीन
परीक्षण के लिए सुविधाओं की स्थापना इसी दिशा में एक कदम है।
पीएम-केयर्स
कोष (फंड) की सहायता से हैदराबाद में कोविड -19 वैक्सीन परीक्षण सुविधा के लिए राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी
संस्थान (एनआईएबी ) की प्रयोगशाला को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल ) के रूप
में उन्नत किया गया है। साथ ही एनआईएबी, हैदराबाद की सुविधा को 17 अगस्त, 2021 को स्वास्थ्य और परिवार
कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी राजपत्र अधिसूचना के द्वारा अब कोविड-19 टीकों के परीक्षण और इनके उत्पादन को
स्वीकृति देकर (लॉट रिलीज) के लिए केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला के रूप में अधिसूचित
कर दिया गया है। राष्ट्रीय कोशिका विज्ञान
केंद्र (एनसीसीएस), पुणे स्थित सुविधा को 28 जून 2021 को केंद्रीय औषधि
प्रयोगशाला (सीडीएल के रूप में पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।
इन दोनों सुविधाओं में प्रति माह टीकों (वैक्सीन) के लगभग 60 बैचों का परीक्षण किए जाने की उम्मीद है। यह देखते हुए कि ये सुविधाएं देश के वैक्सीन निर्माण केंद्रों के निकट ही स्थित हैं, यहां से वैक्सीन निर्माण और उनकी सरलता से आपूर्ति के लिए आवश्यक व्यवस्था करना भी आसान हो जाएगा। पीएम-केयर्स कोष के माध्यम से मिली उदार सहायता और इन दोनों संस्थानों द्वारा किए गए अथक प्रयासों ने अत्याधुनिक एवं अद्यतन उत्तम प्रयोगशाला व्यवहार (गुड लैबोरेट्री प्रैक्टिसेस–जीएलपी) के अनुरूप वैक्सीन परीक्षण सुविधाओं के तेजी से उन्नयन और उनकी स्थापना को सक्षम बनाकर राष्ट्रीय आवश्यकता में अपना योगदान दिया है। यह टीकों (वैक्सीन) की आपूर्ति श्रृंखला को और मजबूत तो करेगा ही और साथ में भारत में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान को भी बढ़ावा देगा।
Leave A Comment
LIVE अपडेट
राज्य
Stay Connected
Get Newsletter
Subscribe to our newsletter to get latest news, popular news and exclusive updates.






0 Comments
No Comments